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इत्तू सा तो आज का दिन नागवार रहा नाक तक भागमभाग छूने को तलबगार रहा कभी खुशियों में खुश भी हो लिए तो कभी अनचाहा मुस्कान भी होंठों को नागवार रहा हम ख्वाहिशों को पकड़े वो हाथ छुड़ाती रही उसके नखरों से मन खिन्न खुशगवार...
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