संदेश
छ्ल कपट करते हो और बदले में सुख चाहते हो, साहब ये दोनो साथ में तो साथ नहीं दे सकते।
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मैं अपने शहर का बिगड़ा हुआ नवाब हूँ, लोग यून्ही मुझे साहब नहीं कहते।
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उसकी याद में तन्हा बैठे थे, वो है कि मुझे याद करने को तन्हा भी नहीं रहना चाहता।
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सारी दुनिया छोड़ कर एक तेरे खातिर आया हूँ, और एक तु है जो मुझसे यूँही रूठा है।
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जीने कि तमन्ना उसी दिन खत्म हो गई थी जिस दिन तूने मुझे ठुकराया था।
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समझ में ना आए ऐसी बात क्यों करते हो, जो तुम्हारा नहीं उसे अपना क्यों कहते हो।
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